Motivational Story in Hindi
किसी ने बड़े ही कमाल की बात कही है कि बर्तन खाली हो तो यह मत सोचो कि मांगने आया है हो सकता है कि वह सब कुछ बांट कर आया हो।
Motivational Story in Hindi – एक बड़ी छोटी सी कहानी है एक व्यापारी कि एक दिन वह ऊंट खरीदने के लिए एक बाजार में गया और उसे एक ऊंट पसंद भी आ गया।
सौदा हुआ जो पैसे थे वो वो व्यापारी उस ऊंट वाले को दिए और ऊंट लेकर के अपने घर वापस आ गया जो व्यापारी था उसका एक बड़ा ही खास नौकर था।
जो उस व्यापारी का सारा काम संभालता था उसे पता चला कि मालिक ने नया ऊंट खरीदकर घर लाए है। तो जो ऊंट की काठी होती है उसने उस काठी को उतारा।
और नीचे उसमें उसे एक मखमली थैली मिली थैली लाकर के जैसे ही उसने खोला तो देखा कि उसमें हीरे हैं।
वह इतने हीरे देखकर चौंक गया और दौड़ता हुआ अपने मालिक के पास गया और कहने लगा की मालिक आपने सिर्फ ऊंट नहीं लाए बल्कि इस मखमली थैली में बहुत सारे हीरे लेकर आए हैं।
व्यापारी ने कहा क्या कह रहे हो उसने थैली दिखाया कि देखो इसमें कितने अच्छे-अच्छे हीरे हैं मालिक ने कहा इस थैली को वापस बांधों मैं इन हीरो को देकर आता हूं।
नौकर सोच में पड़ गया कि कितना बेवकूफ मालिक है अच्छा खासा माल हाथ में आ गया था उसको वापस देने जा रहा है।
उसने मालिक को समझाया कि यह क्या किसी को पता चलेगा आप तो ऊंट लेकर आए हो किसी को पता ही नहीं चलेगा।
व्यापारी ने कहा, नहीं मैं इस थैली को वापस लौटाने जाऊंगा व्यापारी ने उस मखमल की थैली को लेकर के वापस उस बाजार में गया।
बाजार में वह उस ऊंट वाले को ढूंढने लगा बहुत ढूंढने के बाद जब वह ऊंट वाला मिला तो कहने लगा कि भाई साहब वह जो ऊंट था उसकी काठी के नीचे यह मखमली थैली थी।
जिसमें बहुत सारे हीरे थे लौटाने आया हूं ऊंट वाले ने कहा क्या बात है तभी मैंने सोचा कि मिल क्यों नहीं रही कहां गई।
वह आपके साथ चली गई थी लाओ लाओ तो उसने थैली दे दी वह बड़ा खुश हुआ बोला कि क्या बात है बहुत ईमानदार हो जो आपने लौटा दी।
ऊंट वाले ने कहा भैया मैं आपको अपनी तरफ से एक हीरा दान देना चाहता हूं आप इन कीमती हीरो में से जो आपको पसंद आए आप अपने पास रख लो।
व्यापारी ने कहा नहीं मुझे नहीं चाहिए मैं आपको हीरे लौटाने आया हूं वह माना नहीं उसने कहा नहीं आपको एक हीरा रखना ही पड़ेगा आप रख लो।
व्यापारी ने कहा मैं पहले ही दो हीरे अपने पास रख चुका हूं जैसे ही उस ऊंट वाले ने बात सुनी तो उसे गुस्सा आ गया उसे लगा कि अब इसे मारना चाहिए।
इस ने पहले ही दो हीरे अपने पास रखें उसने अपना गुस्सा शांत किया और उसने मखमल की थैली को निकाला और हीरे गिरना शुरू किया कि पूरे हीरे हैं कि नहीं पूरे हीरे थे तो उसने व्यापारी से कहा कि आप यह क्या कह रहे हैं ये तो पूरे हैं।
आपने कौन से दो हीरे अपने पास रख लिए है उस व्यापारी ने कहा मैंने सबसे अनमोल दो हीरे अपने पास रखे हैं सबसे पहला “ईमानदारी” और दूसरा “अपना आत्मसम्मान” (Self Respect)!
इस कहानी की सीख :-
ये कहानी हमे ये सिखाती है कि जीवन में पैसा ही सबकुछ नही होता है आपकी ईमानदारी और आत्मसम्मान मैटर करती है मैं अक्सर कहता हूं कि पैसा बहुत कुछ हो सकता है लेकिन पैसा सबकुछ नहीं हो सकता है।
नीच और ऊच की पहचान
महाराजा विक्रमादित्य अपने देश की आंतरिक दशा जानने के लिए वेश बदलकर पैदल घूमने जाया करते थे। एक दिन घूमते घूमते राजा एक नगर में पहुंचे। वहां का रास्ता उन्हे मालूम नही था राजा रास्ता पूछने के लिए किसी व्यक्ति की तलाश करने लगे।
आगे उन्हें एक हवलदार अपनी वर्दी पहने हुए दिखा राजा ने उसके पास जाकर पूंछा-“महासय आमुक स्थान जाने का रास्ता कौन सा है, कृपया बताइए?” हवलदार ने अकड़ कर कहा-“मूर्ख तुझे दिखाई नहीं देता, मैं हाकिम हूं मेरा काम रास्ता बताना नहीं है, चल हट किसी दूसरे से पूंछ।”
राजा ने नम्रता पूर्वक पूछा-महोदय! यदि सरकारी आदमी भी किसी को रास्ता बता दे, तो कोई हर्ज तो नही है? खैर मैं किसी दूसरे आदमी से पूंछ लूंगा पर आप इतना तो बता दीजिए की आप किस पद पर काम करते हैं।
हवलदार ने गुस्से से कहा- अंधा है! मेरी वर्दी को देखकर पहचानता नहीं है कि मैं कौन हूं।
राजा ने कहा- शायद आप पुलिस के सिपाही हैं तो हवलदार ने कहा- नही उससे भी ऊंचा। तब क्या नायक हैं नहीं उससे भी ऊंचा। अच्छा आप हवलदार हैं? हवलदार ने कहा- अब तू जान गया की मैं कौन हूं। पर यह तो बता इतनी पूछताछ करने का तेरा क्या मतलब और तू कौन है?
राजा ने कहा- मैं भी सरकारी आदमी हूं, यह सुनकर हवलदार की ऐंठ कुछ कम हुई।
उसने राजा से पूछा क्या तुम नायक हो? राजा ने कहा नहीं, उससे ऊंचा। तब क्या आप हवलदार हैं ? नहीं, उस से भी ऊंचा। तो क्या दरोगा है? उससे भी ऊंचा। हवलदार ने कहा -तो क्या आप कप्तान हो?
राजा ने कहा नहीं, उससे और भी ऊंचा। सूबेदार जी हैं? नहीं, उससे भी ऊंचा। अब तो हवलदार घबराने लगा, उसने पूछा- तब आप मंत्री जी हैं।
राजा ने कहा- नही भाई! बस एक सीढ़ी और बाकी रह गई है। सिपाही ने गौर से देखा, तो शादी पोशाक में महाराजा विक्रमादित्य सामने खड़े हैं।
हवलदार के होश उड़ गए वह गिड़गिड़ाते हुए राजा के पांव पड़ने लगा और बड़ी ही विनम्रता से अपने अपराध की माफी मांगने लगा। राजा ने कहा-” माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं मैं जानता हूं कि जो जितने नीचे पद पर होता है वह उतना ही अकड़ता है।”
जब तुम बड़े बनोगे मेरी तरह तो तुम भी नम्रता का बर्ताव सीख जाओगे। जो जितना ही ऊंचा है, वह उतना ही सहनशील एवं नम्र व्यक्ति होता है, और जो जितना नीच एवं ओछा होता है वह उतना ही ऐंठता रहता है।”
इसीलिए कहा गया है:-
विद्या विवादाय,धनम् मदाये,
शक्ति परेशाम परिपीढ़नाएं,
खलस्य साधोर, विपरीत मेतत,
ज्ञानय,दानाय,च रक्षणाय।।
अर्थात :- दुष्ट व्यक्ति के पास विद्या हो, तो वह विवाद करता है। धन हो तो घमंड करता है और यदि शक्ति हो तो दूसरों को परेशान करता है। वहीं साधु प्रकृति का व्यक्ति, विद्या ज्ञान देने में, धन दान देने में, और शक्ति दूसरों की रक्षा करने में खर्च करता है।”
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Motivational Story in Hindi FAQ
Q. खुद को मोटिवेट कैसे रखे?
A. खुद को Motivate रखने के लिए इन तरीकों को Follow करें।
1. Calender पर अपना Goal सेट करें।
2. अपने मन की प्रेरणा को बढ़ावा दें।
3. Motivational किताबें पढ़े।
4. कभी हार न माने।
5. हार से दरें नही।
6. हमेशा कुछ बड़ा करने की कोशिश करें।
Q. Motivation की आवश्यकता क्यों है?
A. Motivation अपने लक्ष्यों या आवश्यकताओं को प्राप्त करने की प्रेरणा है। पुरानी आदतों को छोड़ने और अच्छी आदतों को विकसित करने के लिए Motivation बहुत महत्वपूर्ण है।